वो मस्जिद के बाहर बैठा रहा ...
सब नमाजी आँख बचा कर चले गए ...
उसे कुछ न मिला ....
वो फिर चर्च गया , फिर मंदिर और फिर गुरूद्वारे ...
लेकिन उसको किसी ने कुछ न दिया ....
आखिर एक मैखाने के बाहर आकर बैठ गया ...
जो भी शराबी निकलता, फकीर के कटोरे में कुछ डाल देता ...
उसका कटोरा नोटों से भर गया ...
फकीर बोला,
वह मेरे खुदा...
रहते कहाँ हो, और एड्रेस कहाँ का देते हो !
वाह मेरे खुदा !!!
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